संगठन संरचना
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प्रत्येक प्रभाग के अन्तर्गत मुख्यतः निम्नलिखित कार्य सम्पादित किये जाते है-
सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण
कार्यगोष्ठी/कार्यशाला
प्रसार
अनुसंधान
प्रकाशन
उक्त दोनों कार्यक्षेत्र (सेवापूर्व एवं सेवारत ) के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार एवं राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के द्वारा निर्धारित मानदण्डानुसार स्टॉफ का प्रावधान किया गया है। जिसके अनुसार राज्य में संचालित डाईटों में प्रधानाचार्य, उपप्रधानाचार्य, वरिष्ठ व्याख्याता एवं व्याख्याता के साथ-साथ नॉन-टीचिंग स्टॉफ का भी प्रावधान किया गया है।
सेवापूर्व शिक्षक प्रशिक्षण हेतु स्टॉफ का प्रावधान 50-50 विद्यार्थियों के दो बुनियादी यूनिटों तक की भर्ती के लिए संकाय सदस्यों की संख्या 16 होगी। प्रिंसीपल अथवा विभागाध्यक्षों को संकाय में शामिल किया गया है। विषय क्षेत्रों में संकाय का वर्गीकरण इस प्रकार हो सकता है-
अकादमिक स्टाफ-
क्र.सं |
प्रधानाचार्य |
उपप्रधानाचार्य |
वरि0व्याख्याता |
व्याख्याता |
योग |
1 |
1 |
1 |
6 |
18 |
26 |
1 प्रिंसीपल/विभागाध्यक्ष - एक-प्रधानाचार्य
2 शिक्षा में परिप्रेक्ष्य/शिक्षा के आधार - तीन- व्याख्याता
3 विज्ञान - दो- व्याख्याता
4 मानविकी एवं समाज विज्ञान - दो- व्याख्याता
5 गणित - दो- व्याख्याता
6 भाषाएँ - तीन- व्याख्याता
7 ललित कलाए/निष्पादक कलाएँ - दो- व्याख्याता
8 स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा - एक- व्याख्याता
नॉन-टीचिंग स्टॉफ
पुस्तकालय अध्यक्ष 01 लेखाकार 01 सहायक प्रशासनिक अधिकारी 01 लिपिक ग्रेड-1 01 लिपिक ग्रेड-11 05 सांख्यिकी सहायक 01 |
आशु लिपिक 01 तकनीकी सहायक 01 प्रशासनिक सहायक 01 जमादार 01 सहायक कर्मचारी 01 वर्कशाप सहायक 01
|
राज्य में वर्ष 2014-15 से डी.एल.एड द्वि-वर्षीय पाठ्यक्रम नवीन स्वरूप में लागू किया गया है जिसमें संकाय सदस्यों द्वारा {पाठ्यचर्या सिद्धन्त पाठ्यक्रम, प्रयोगशाला कार्य, स्कूल स्थानापन्न प्रशिक्षण (इन्टर्नशिप) तथा कार्यक्रम कार्यान्वयन पाठ्यचर्यानुसार सर्वे कार्य एवं शोध कार्य किया जाता है} संकाय सदस्यों द्वारा नवीन पाठ्यचर्यानुसार प्रथम वर्ष एवं द्वितीय वर्ष में निम्नानुसार प्रश्नपत्रों का शिक्षण एवं मूल्यांकन कार्य किया जाता है, पाठ्यक्रम का विवरण निम्नानुसार है:-
प्रथम वर्ष
क्र.सं. |
प्रश्न पत्र |
प्रश्न पत्र का नाम |
1 |
प्रथम |
बच्चे एवं बचपन |
2 |
द्वितीय |
शिक्षा के उद्धेश्य, ज्ञान एवं पाठ्यचर्या |
3 |
तृतीय |
भारतीय समाज और शिक्षा |
4 |
चतुर्थ |
भाषा संज्ञान और समाज |
5 |
पंचम |
हिन्दी भाषा शिक्षण और प्रवीणता |
6 |
पष्टम |
अंग्रेजी भाषा शिक्षण और प्रवीणता |
7 |
सप्तम |
गणित शिक्षण |
8 |
अष्टम |
पर्यावरण अध्ययन |
9 |
नवम |
कला शिक्षण |
10 |
दशम् |
सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी (आई.सी.टी.) |
प्रायोगिक -विद्यालय अनुभव (60 दिवस)
f}rh; o"kZ
क्र.सं. |
प्रश्न पत्र |
प्रश्न पत्र का नाम |
1 |
प्रथम |
बच्चे और सीखना |
2 |
द्वितीय |
विद्यालय संस्कृति प्रबंधन व शिक्षक |
3 |
तृतीय |
आधुनिक विश्व में विद्यालय शिक्षा |
4 |
चतुर्थ |
हिन्दी भाषा शिक्षण और प्रवीणता |
5 |
पंचम |
अंग्रेजी भाषा शिक्षण और प्रवीणता |
6 |
पष्टम |
गणित शिक्षण |
7 |
सप्तम |
तृतीय भाषा शिक्षण संस्कृत/गुजराती/पंजाबी/उर्दू/सिंधी |
8 |
अष्टम |
स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा |
9 |
नवम |
सामाजिक विज्ञान शिक्षण |
10 |
दशम् |
विज्ञान शिक्षण |
प्रायोगिक -विद्यालय अनुभव (60 दिवस)
शिक्षण कार्य के अलावा संकाय सदस्यों द्वारा किये जाने वाले कार्य
प्रायोगिक कार्य -शिक्षण कार्य के अलावा संकाय सदस्य विद्यालय अनुभव कार्यक्रम अन्तर्गत प्रथम व द्वितीय वर्ष दोनों में 60-60 दिवस विद्यालय अनुभव (इंटर्नशिप) का कार्य करते है, जिसके अन्तर्गत चयनित विद्यालयों प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के अध्यापक शिक्षकों को निर्धारित कार्यदिवसों पर विद्यालय समय में संकाय के सदस्य उपस्थित रहकर अध्यापक शिक्षक एवं विद्यालय शिक्षकों को संबलन प्रदान करते हैं ंइसके साथ-साथ निम्नलिखित कार्य सम्पादित किये जाते है।
1 .प्रवेश कार्य
2 .परीक्षा एवं आन्तरिक मूल्यांकन कार्य
3 .विद्यालय अनुभव, तैयारी, मार्गदर्शन एवं मूल्यांकन कार्य
4 .समालोचना पाठ एवं वार्षिक पाठ-तैयारी, मार्गदर्शन एवं मूल्यांकन
5 .स्काउट गाइड शिविर (7 दिवस)
6 .जिले में स्थित निजी डी.एल.एड. प्रशिक्षण संस्थानों के लिए नॉडल एजेन्सी का कार्य
7 .प्रार्थना सभा, उत्सव एवं जयंतियाँ, साहित्य, सांस्कृतिक एवं खेलकूद कार्यक्रम, पुस्तकालय का उपयोग, एस.यू.पी.डब्ल्यू. संबंधित कार्य (कार्य शिक्षा) आपदा प्रबंधन संबंधी जानकारी (पाठ्यक्रमानुसार) सर्वे कार्य, क्र्रियात्मक अनुसंधान संबंधी कार्य प्रायोजना (प्रोजेक्ट) कार्य (प्रत्येक विषय में)
डी.एल.एड. द्वि-वर्षीय पाठ्यक्रम के डाइट में संचालन हेतु एनसीटीई द्वारा जारी विहित मानकों का पालन किया जाना अनिवार्य है।
ऽ सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के क्रियान्वयन अन्तर्गत प्रोग्राम ऑफ एक्शन 1992 के अनुसार जिला स्तर पर शिक्षा को गतिशील एवं सामयिक बनाने हेतु जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डीआईईटी)की स्थापना की गई। डाइट में सेवारत शिक्षक शिक्षा के लक्ष्य प्राप्ति हेतु आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों हेतु निम्नानुसार प्रभागों की स्थापना की गई।
1. कार्यानुभव प्रभाग (WORK EXPERIENCE)
2. जिला संसाधन एकक प्रभाग (DISTRICT RESOURCE UNIT)
3. सेवारत कार्यक्रम, क्षेत्रीय अन्तःक्रिया एवं नवाचार, समन्वय प्रभाग (IN SERVICE
PROGRAMMES, FIELD INTERACTION AND INNOVATION, CO-ORDINATION)
4. पाठ्यक्रम, सामग्री विकास एवं मूल्यांक(CURRICULUM, MATERIAL DEVELOPMENT &
EVALUATION)
5. शैक्षिक प्रौद्योगिकी प्रभाग (EDUCATION TECHNOLOGY)
6. योजना एवं प्रबन्ध प्रभाग (PLANNING AND MANAGEMENT)
उपर्युक्त प्रभागों द्वारा आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों का संक्षिप्त विवरणः-
1. कार्यानुभव प्रभाग (WE)-कार्यानुभव विषय से संबंधित शिक्षण अधिगम सामग्री निर्माण करना। अल्पव्ययी शिक्षण सामग्री एवं मूल्यांकन प्रविधि या उपकरण निर्माण। जिले के विद्यालयों एवं शिक्षा अधिकारियों को कार्यानुभव के विभिन्न क्षेत्रांे से संबंधित क्रियान्वयन में सहयोग दोना। सेवारत एवं सेवापूर्व शिक्षकों को कार्यानुभव के विभिन्न क्षेत्रों संबंधित क्रियात्मक प्रशिक्षण प्रदान करना एवं कार्यानुभव विषय संबंधी प्रवृत्तियों यथा सफाई, मरम्मत, रखरखाव, संस्थान का सौंदर्र्यीकरण आदि का आयोजन करना। प्रशिक्षण के दौरान समाज सेवा संबंधित क्रियाये एवं कार्यानुभव केंद्र का अवलोकन करना।
2. जिला संसाधन एकक प्रभाग(DRU)-जिले में शिक्षा के सार्वजनीकरण से संबंधित योजनाओं का निर्माण कर उनकी क्रियांवति करना। महिला सशक्तिकरण जनसंख्या-शिक्षा, किशोरावस्था-शिक्षा, विशेष योग्यता स्वीकृत शिक्षा योजनान्तर्गत जिला स्कूल, एड्स शिक्षा कार्यक्रम संबंधी प्रशिक्षण की व्यवस्था करना। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं प्रारंभिक शिक्षा शिक्षकों में समन्वयन हेतु उनका संयुक्त प्रशिक्षण आयोजित करना। आंगनबाड़ी केन्द्रों का अवलोकन कर सम्बलन प्रदान करना। विश्व जनसंख्या दिवस, विश्व साक्षरता दिवस, विश्व एड्स दिवस, मानवाधिकार दिवस एवं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस आदि के आयोजन का प्रशिक्षण देना
3. सेवारत कार्यक्रम, क्षेत्रीय अंतःक्रिया एवं नवाचार, समन्वय प्रभाग(IFIC)-डाइट का वार्षिक पंचाग
तैयार करना। जिले के विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण की आवश्यकता की पहचान कर सेवारत शिक्षकों हेतु विषय आधारित एवं थीम आधारित प्रशिक्षणों का आयोजन करना। शिक्षकों के व्यावसायिक उन्नयन हेतु पत्र वाचन एवं निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन करना।क्षेत्रीय अंतःक्रिया क्रियात्मक अनुसंधान एवं सत्र-पर्यंत प्रकाशन के लिए नोडल ब्रांच के रूप में कार्य करना। जिला शिक्षा अनुसंधाता वाक्पीठ (डर्फ) की वार्षिक योजना का निर्माण एवं उसकी क्रियान्वित करना। जिले की शैक्षिक समस्याओं के समाधान एवं विभिन्न अभिकरणों में समन्वय हेतु समिति डी.सी.सी. की त्रैमासिक बैठकों का आयोजन करना।
4. पाठ्यक्रम, सामग्री विकास एवं मूल्यांकन प्रभाग(CMDE)-शिक्षाक्रम एवं नवीन पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा करना। स्थानीय परिवेशगत शिक्षण अधिगम सामग्री की पहचान एवं निर्माण करना। निदानात्मक परीक्षण एवं उपचारात्मक शिक्षण कार्ययोजना संबंधी प्रशिक्षण देना। दक्षता आधारित शिक्षण अधिगम एवं मूल्यांकन में गुणात्मक सुधार हेतु सहपाठी समूह एवं स्व-मूल्यांकन विधा संबंधी प्रशिक्षण देना। मूल्यांकन के विभिन्न उपकरण यथा - प्रश्न पत्र, प्रश्न बैंक आदि का निर्माण करना। पाठ्यक्रम का जिला स्तर पर परख परीक्षावार विभाजन करना। शिक्षकों का मानसिक योग्यता अभिवृद्धि हेतु प्रशिक्षण देना। विभिन्न स्तर की परीक्षाओं हेतु प्रश्न पत्रों का निर्माण करना एवं उनसे संबंधित विविध प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
5. शैक्षिक प्रौ़द्योगिकी (ED) - शिक्षण को प्रभावी बनाने हेतु अल्पव्ययी शिक्षण सहायक सामग्री तथा दृश्य - श्रव्य सामग्री का निर्माण एवं उपयोग संबंधी प्रशिक्षण देना।सम्प्रेषण को प्रभावी बनाने हेतु शैक्षिक प्रौद्योगिकी का शिक्षण में उपयोग संबंधी प्रशिक्षण देना।शैक्षिक प्रौद्योगिकी के नवीनतम उपकरणों यथा -कम्प्यूटर, टी.वी. एल.सी.डी. आदि के प्रति सजगता संबंधी प्रशिक्षण देना। दक्षता आधारित शैक्षिक सामग्री निर्माण, रेडियों पाठ आलेखन एवं अन्य प्रभागों के प्रशिक्षण को शैक्षिक प्रौद्योगिकी उपकरणों के माध्यम से संबलन प्रदान करना। विद्यालय प्रसारण कार्यक्रमों का प्रबोधन। एड्युसेट कार्यक्रम अंतर्गत वीडियों काॅन्फ्रेसिंग के विषय विशेषज्ञों से सीधा संवाद करवाना।
6. योजना एवं प्रबंध प्रभाग (P&M)-विभिन्न शैक्षिक समंक एकत्रित कर डाइट एवं जिला योजना मे ंसहयोग करना। विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण यथा- प्रधानाध्यापक, विद्यालय संकुल, विद्यालय योजना आदि का आयोजन करना। लेब एरिया का चयन कर शैक्षिक उन्नयन के प्रयास करना। कार्यक्रम सलाहकार समिति (पी.ए.सी.) की वर्ष में दो बार, पुस्तकालय सलाहकार समिति (एल.ए.सी.) का गठन, बैठकों का वर्ष में एक बार आयोजन करना। विद्यालय के स्वमूल्यांकन हेतु उपकरणों का निर्माण शाला मानचित्रण, सूक्ष्म नियोजन में शिक्षा अधिकारियों को तकनीकी सहयोग प्रदान करना। टीचर प्रोफाइल एवं अंतराल चक्र प्रपत्र संधारण करना। 8वीं बोर्ड पैटर्न परीक्षाओं का संचालन।
उपर्युक्त प्रत्येक प्रभाग के अन्तर्गत मुख्यतः निम्नलिखित कार्य सम्पादित किए जाते हैं:-
1. सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण
2. कार्यगोष्ठी/कार्यशाला
3. प्रसार
4. अनुसंधान
5. प्रकाशन
उक्त कार्यक्रमों के आयोजन के लिये प्रत्येक प्रभागवार वर्षपर्यन्त कार्य सम्पादन हेतु नियोजन निम्नानुसार किया जाता है।
1. पूर्व तैयारी-मॉडयूल निर्माण उसका क्षेत्र परीक्षण एवं आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करना प्री-टेस्ट का निर्माण करना, समन्वयन कार्य
2. समन्वयन एवं सूचना सम्प्रेषण-टीचर्स प्रोफाइल के आधार पर प्रशिक्षणार्थियों का चयन करना संबंधित अधिकारियों से शिक्षकों के डाइट में प्रशिक्षण हेतु आदेश जारी करवाना उनकी पालना करना वार्ताओं की विषयवस्तु को तैयार करना आदि।
3 . प्रशिक्षण आयोजन हेतु व्यवस्था-समुचित बैठक व्यवस्था सुनिश्चित करना, आधार पत्र तैयार करना,सन्दर्भ साहित्य, सहायक सामग्री आदि की व्यवस्था करना।
4. प्रशिक्षण/कार्यशाला आयोजन-कार्यक्रम के प्रभावी आयोजन हेतु फेसिलिटेटर व कोर्डिनेटर के
रूप में कार्य करना, प्रत्येक दिवस की गतिविधियों की समालोचना एवं आगामी दिवस की
रणनीति तैयार करना, दैनिक प्रतिवेदन तैयार करना, प्रशिक्षण समाप्ति दिवस पर समस्त
औपचारिकताओं की पूर्ति करवाना।
5. प्रशिक्षण पश्चात्-टीचर्स प्रोफाइल में प्रशिक्षण का अंकन, फीडबैक प्रपत्र का अध्ययन एवं
विश्लेषण, पोस्ट टेस्ट का मूल्यांकन एवं विश्लेषण, फीडबैक व पोस्ट टेस्ट के आधार पर
निष्कर्षों का निष्पादन और निष्कर्षों के आधार पर आगामी प्रशिक्षणों/कार्यगोष्ठियों में सुधार
हेतु व्यूह रचना तैयार करना।
6.शोध कार्य -प्रत्येक प्रभाग द्वारा प्रभाग के कार्या एवं शिक्षकों द्वारा प्राप्त फीडबैक और अनुभूत
समस्याओं के आधार पर क्रियात्मक अनुसंधान का कार्य किया जाता है। इसके लिये-(1.) समस्या का चयन करना आक (2.) आकल्प निर्माण (3.)उपकरण निर्माण (4.) दत्त संकलन (5.) संकलित दत्त का वर्गीकरण एवं विश्लेषण कर निष्कर्ष निकालना। शोध प्रतिवेदन एवं शोध सार तैयार करना व उसका प्रकाशन करना। सर्वशिक्षा एवं एसआईईआरटी द्वारा दिये गये शोध कार्य को सम्पादित करना।
7. प्रकाशन कार्य - विभिन्न प्रभागों में किये गये नवाचार एवं क्षे़त्र की आवश्यकता अनुसार आवश्यक सामग्री का प्रकाशन करना, संस्थान की त्रैमासिक,अर्द्धवार्षिक और वार्षिक पत्रिका हेतु सामग्री का संकलन करना एवं उसका प्रकाशन।
8. प्रसार कार्य-प्रत्येक प्रभाग द्वारा आयोजित प्रशिक्षण एवं कार्यशालाओं के प्रबोधन एवं अनुवर्तन के लिये तथा प्रभाग द्वारा किये गये प्रकाशनों को विद्यालयों तक पहॅुचाकर उनकी उपयोगिता सुनिश्चित करने के लिये प्रसार कार्य प्रस्तावित किया जाता हे जो प्रभागवार अलग-अलग होता है। लेब एरिया में स्थित विद्यालयों में शिक्षकों के सम्बलन करने हेतु माह में एक बार प्रत्येक व्याख्याता/व.व्याख्याता द्वारा विद्यालय अवलोकन एवं उनको सम्बलन प्रदान करना, प्रधानाध्यापक की वर्ष में पंचायत समिति स्तर पर वर्ष में होने वाली वाक्पीठ में शैक्षिक समस्याओं एवं सम्बलन कार्यक्रम का प्रबोधन करना।
9.विद्यालय अवलोकन कार्य -डाइट स्थापना के उद्देश्यों में बालकों को गुणवत्तापूणर््ा शिक्षा उपलब्ण्ध कराना है इसकी पूर्ति हेतु डाइट फैकल्टी, प्रभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य द्वारा प्रतिमाह दो विद्यालयों का अवलोकन एवं सम्बलन किया जाता है तथा रीडिंग कैम्पेन के तहत प्रति माह एक विद्यालय एवं शिक्षा संबलन के तहत वर्ष में चार विद्यालयों का अवलोकन किया जाता है। अवलोकन प्रतिवेदन का संधारण करना एवं अवलोकनों उपरांत दिये गये सुझावों की अनुपालना सुनिश्चित करवाना।
सर्वशिक्षा अभियान एवं विभाग के कार्यक्रमों के विषय विशेषज्ञों के रूप में सम्बलन प्रदान करना-सर्वशिक्षा अभियान के सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में दक्ष प्रशिक्षक के रूप में डाइट व्या. द्वारा कार्य करना, शिक्षक प्रशिक्षण शिविरों का अवलोकन कार्य करना एवं प्रबोधन करना। एस.एस.ए. द्वारा प्रतिवर्ष किया जाने वाला राष्टीय निष्पति परीक्षा मूल्यांकन कार्यक्रम को सम्पन्न करवाना।
1 अतिरिक्त कार्य - (1) कक्षा आठवीं बोर्ड परीक्षा आयोजन
2 प्रशिक्षण प्राप्ति कार्य -डाइट संकाय सदस्यों द्वारा वर्ष पर्यन्त एसआईईआरटी,आईएएसई एवं सीटीई, डाइट स्तर पर ट्रेनिंग लेना ।
3 मासिक बैठक- सीसीई की ब्लॉक स्तरीय मासिक बैठकों में भाग लेना एवं सीसीई विद्यालयों का संकाय सदस्यों द्वारा निरीक्षण एवं सम्बलन प्रदान करना ।
4 अन्य डाइट्स का शैक्षिक भ्रमण (चार दिवसीय)कर अर्न्तक्रिया द्वारा प्रशिक्षणों में सुधार करना।
5 संकाय सदस्यों की क्षमता अभिवर्धन कार्यक्रमों में भाग लेना।
सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण हेतु टीचर प्रोफाईल के आधार पर अध्यापकों का चयन, प्रशिक्षण में उपस्थित होने हेतु निर्देश, प्रशिक्षण के कार्ययोजना निर्माण, समय विभाग चक्र निर्माण, संकाय के संदर्भ व्यक्तियों का चयन एवं प्रशिक्षण का प्रभावी क्रियान्वयन, प्री-टेस्ट एवं पोस्ट टेस्ट का आयोजन, प्रशिक्षण/कार्ययोजना का प्रतिवेदन तैयार करना। प्रशिक्षण के पश्चात विद्यालयों में अध्यापकांें का फॉलोअप कार्यक्रम एवं फीड बैंक आदि कार्य सेवारत प्रशिक्षण/कार्यगोष्ठी के अंतर्गत किये जाते हैं। प्रत्येक प्रभाग, एसआईईआरटी द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रम तथा डाइट की पी.एस.सी. द्वारा अनुमोदित कार्यक्रमानुसार न्यूनतम 3 से 4 कार्यगोष्ठी/प्रशिक्षण प्रतिमाह आयोजित किए जाते हैं।
डाइट जिले की शीर्ष अकादमिक संस्था है जहाँ शैक्षिक कार्ययोजनाओं का नियोजन, क्रियावन्यन एवं सम्पादन किया जाता है जिसमें मुख्य रूप से सेवापूर्व शिक्षण प्रशिक्षण, अध्ययन-अध्यापन, क्षेत्रीय एवं प्रायोगिक कार्य, शिक्षक इंटर्नशिप कार्यक्रम तथा सेवारत कार्यक्रम अंतर्गत विभिन्न प्रभागों द्वारा विविध विषय आधारित प्रशिक्षण ;प्रतिमाहद्ध, शैक्षिक सामग्री निर्माण हेतु कार्यशालएं, कार्यगोष्ठी, सेमीनार, शोध एवं विद्यालय अवलोकन, संबलन एवं प्रकाशन आदि कार्य किया जाता है। इसके साथ ही एसआईईआटी, एसएसए, रमसा, एमएचआरडी, एनसीईआरटी, न्यूपा, आदि शैक्षिक संस्थाओं एवं अभिकरणों द्वारा भी जिलास्तर पर डाइट के माध्यम से ही शैक्षिक कार्य सम्पादित किये जाते है।
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प्रत्येक प्रभाग के अन्तर्गत मुख्यतः निम्नलिखित कार्य सम्पादित किये जाते है-
सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण
कार्यगोष्ठी/कार्यशाला
प्रसार
अनुसंधान
प्रकाशन
उक्त दोनों कार्यक्षेत्र (सेवापूर्व एवं सेवारत ) के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार एवं राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के द्वारा निर्धारित मानदण्डानुसार स्टॉफ का प्रावधान किया गया है। जिसके अनुसार राज्य में संचालित डाईटों में प्रधानाचार्य, उपप्रधानाचार्य, वरिष्ठ व्याख्याता एवं व्याख्याता के साथ-साथ नॉन-टीचिंग स्टॉफ का भी प्रावधान किया गया है।
सेवापूर्व शिक्षक प्रशिक्षण हेतु स्टॉफ का प्रावधान 50-50 विद्यार्थियों के दो बुनियादी यूनिटों तक की भर्ती के लिए संकाय सदस्यों की संख्या 16 होगी। प्रिंसीपल अथवा विभागाध्यक्षों को संकाय में शामिल किया गया है। विषय क्षेत्रों में संकाय का वर्गीकरण इस प्रकार हो सकता है-
अकादमिक स्टाफ-
क्र.सं |
प्रधानाचार्य |
उपप्रधानाचार्य |
वरि0व्याख्याता |
व्याख्याता |
योग |
1 |
1 |
1 |
6 |
18 |
26 |
1 प्रिंसीपल/विभागाध्यक्ष - एक-प्रधानाचार्य
2 शिक्षा में परिप्रेक्ष्य/शिक्षा के आधार - तीन- व्याख्याता
3 विज्ञान - दो- व्याख्याता
4 मानविकी एवं समाज विज्ञान - दो- व्याख्याता
5 गणित - दो- व्याख्याता
6 भाषाएँ - तीन- व्याख्याता
7 ललित कलाए/निष्पादक कलाएँ - दो- व्याख्याता
8 स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा - एक- व्याख्याता
नॉन-टीचिंग स्टॉफ
पुस्तकालय अध्यक्ष 01 लेखाकार 01 सहायक प्रशासनिक अधिकारी 01 लिपिक ग्रेड-1 01 लिपिक ग्रेड-11 05 सांख्यिकी सहायक 01 |
आशु लिपिक 01 तकनीकी सहायक 01 प्रशासनिक सहायक 01 जमादार 01 सहायक कर्मचारी 01 वर्कशाप सहायक 01
|
राज्य में वर्ष 2014-15 से डी.एल.एड द्वि-वर्षीय पाठ्यक्रम नवीन स्वरूप में लागू किया गया है जिसमें संकाय सदस्यों द्वारा {पाठ्यचर्या सिद्धन्त पाठ्यक्रम, प्रयोगशाला कार्य, स्कूल स्थानापन्न प्रशिक्षण (इन्टर्नशिप) तथा कार्यक्रम कार्यान्वयन पाठ्यचर्यानुसार सर्वे कार्य एवं शोध कार्य किया जाता है} संकाय सदस्यों द्वारा नवीन पाठ्यचर्यानुसार प्रथम वर्ष एवं द्वितीय वर्ष में निम्नानुसार प्रश्नपत्रों का शिक्षण एवं मूल्यांकन कार्य किया जाता है, पाठ्यक्रम का विवरण निम्नानुसार है:-
प्रथम वर्ष
क्र.सं. |
प्रश्न पत्र |
प्रश्न पत्र का नाम |
1 |
प्रथम |
बच्चे एवं बचपन |
2 |
द्वितीय |
शिक्षा के उद्धेश्य, ज्ञान एवं पाठ्यचर्या |
3 |
तृतीय |
भारतीय समाज और शिक्षा |
4 |
चतुर्थ |
भाषा संज्ञान और समाज |
5 |
पंचम |
हिन्दी भाषा शिक्षण और प्रवीणता |
6 |
पष्टम |
अंग्रेजी भाषा शिक्षण और प्रवीणता |
7 |
सप्तम |
गणित शिक्षण |
8 |
अष्टम |
पर्यावरण अध्ययन |
9 |
नवम |
कला शिक्षण |
10 |
दशम् |
सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी (आई.सी.टी.) |
प्रायोगिक -विद्यालय अनुभव (60 दिवस)
f}rh; o"kZ
क्र.सं. |
प्रश्न पत्र |
प्रश्न पत्र का नाम |
1 |
प्रथम |
बच्चे और सीखना |
2 |
द्वितीय |
विद्यालय संस्कृति प्रबंधन व शिक्षक |
3 |
तृतीय |
आधुनिक विश्व में विद्यालय शिक्षा |
4 |
चतुर्थ |
हिन्दी भाषा शिक्षण और प्रवीणता |
5 |
पंचम |
अंग्रेजी भाषा शिक्षण और प्रवीणता |
6 |
पष्टम |
गणित शिक्षण |
7 |
सप्तम |
तृतीय भाषा शिक्षण संस्कृत/गुजराती/पंजाबी/उर्दू/सिंधी |
8 |
अष्टम |
स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा |
9 |
नवम |
सामाजिक विज्ञान शिक्षण |
10 |
दशम् |
विज्ञान शिक्षण |
प्रायोगिक -विद्यालय अनुभव (60 दिवस)
शिक्षण कार्य के अलावा संकाय सदस्यों द्वारा किये जाने वाले कार्य
प्रायोगिक कार्य -शिक्षण कार्य के अलावा संकाय सदस्य विद्यालय अनुभव कार्यक्रम अन्तर्गत प्रथम व द्वितीय वर्ष दोनों में 60-60 दिवस विद्यालय अनुभव (इंटर्नशिप) का कार्य करते है, जिसके अन्तर्गत चयनित विद्यालयों प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के अध्यापक शिक्षकों को निर्धारित कार्यदिवसों पर विद्यालय समय में संकाय के सदस्य उपस्थित रहकर अध्यापक शिक्षक एवं विद्यालय शिक्षकों को संबलन प्रदान करते हैं ंइसके साथ-साथ निम्नलिखित कार्य सम्पादित किये जाते है।
1 .प्रवेश कार्य
2 .परीक्षा एवं आन्तरिक मूल्यांकन कार्य
3 .विद्यालय अनुभव, तैयारी, मार्गदर्शन एवं मूल्यांकन कार्य
4 .समालोचना पाठ एवं वार्षिक पाठ-तैयारी, मार्गदर्शन एवं मूल्यांकन
5 .स्काउट गाइड शिविर (7 दिवस)
6 .जिले में स्थित निजी डी.एल.एड. प्रशिक्षण संस्थानों के लिए नॉडल एजेन्सी का कार्य
7 .प्रार्थना सभा, उत्सव एवं जयंतियाँ, साहित्य, सांस्कृतिक एवं खेलकूद कार्यक्रम, पुस्तकालय का उपयोग, एस.यू.पी.डब्ल्यू. संबंधित कार्य (कार्य शिक्षा) आपदा प्रबंधन संबंधी जानकारी (पाठ्यक्रमानुसार) सर्वे कार्य, क्र्रियात्मक अनुसंधान संबंधी कार्य प्रायोजना (प्रोजेक्ट) कार्य (प्रत्येक विषय में)
डी.एल.एड. द्वि-वर्षीय पाठ्यक्रम के डाइट में संचालन हेतु एनसीटीई द्वारा जारी विहित मानकों का पालन किया जाना अनिवार्य है।
ऽ सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के क्रियान्वयन अन्तर्गत प्रोग्राम ऑफ एक्शन 1992 के अनुसार जिला स्तर पर शिक्षा को गतिशील एवं सामयिक बनाने हेतु जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डीआईईटी)की स्थापना की गई। डाइट में सेवारत शिक्षक शिक्षा के लक्ष्य प्राप्ति हेतु आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों हेतु निम्नानुसार प्रभागों की स्थापना की गई।
1. कार्यानुभव प्रभाग (WORK EXPERIENCE)
2. जिला संसाधन एकक प्रभाग (DISTRICT RESOURCE UNIT)
3. सेवारत कार्यक्रम, क्षेत्रीय अन्तःक्रिया एवं नवाचार, समन्वय प्रभाग (IN SERVICE
PROGRAMMES, FIELD INTERACTION AND INNOVATION, CO-ORDINATION)
4. पाठ्यक्रम, सामग्री विकास एवं मूल्यांक(CURRICULUM, MATERIAL DEVELOPMENT &
EVALUATION)
5. शैक्षिक प्रौद्योगिकी प्रभाग (EDUCATION TECHNOLOGY)
6. योजना एवं प्रबन्ध प्रभाग (PLANNING AND MANAGEMENT)
उपर्युक्त प्रभागों द्वारा आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों का संक्षिप्त विवरणः-
1. कार्यानुभव प्रभाग (WE)-कार्यानुभव विषय से संबंधित शिक्षण अधिगम सामग्री निर्माण करना। अल्पव्ययी शिक्षण सामग्री एवं मूल्यांकन प्रविधि या उपकरण निर्माण। जिले के विद्यालयों एवं शिक्षा अधिकारियों को कार्यानुभव के विभिन्न क्षेत्रांे से संबंधित क्रियान्वयन में सहयोग दोना। सेवारत एवं सेवापूर्व शिक्षकों को कार्यानुभव के विभिन्न क्षेत्रों संबंधित क्रियात्मक प्रशिक्षण प्रदान करना एवं कार्यानुभव विषय संबंधी प्रवृत्तियों यथा सफाई, मरम्मत, रखरखाव, संस्थान का सौंदर्र्यीकरण आदि का आयोजन करना। प्रशिक्षण के दौरान समाज सेवा संबंधित क्रियाये एवं कार्यानुभव केंद्र का अवलोकन करना।
2. जिला संसाधन एकक प्रभाग(DRU)-जिले में शिक्षा के सार्वजनीकरण से संबंधित योजनाओं का निर्माण कर उनकी क्रियांवति करना। महिला सशक्तिकरण जनसंख्या-शिक्षा, किशोरावस्था-शिक्षा, विशेष योग्यता स्वीकृत शिक्षा योजनान्तर्गत जिला स्कूल, एड्स शिक्षा कार्यक्रम संबंधी प्रशिक्षण की व्यवस्था करना। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं प्रारंभिक शिक्षा शिक्षकों में समन्वयन हेतु उनका संयुक्त प्रशिक्षण आयोजित करना। आंगनबाड़ी केन्द्रों का अवलोकन कर सम्बलन प्रदान करना। विश्व जनसंख्या दिवस, विश्व साक्षरता दिवस, विश्व एड्स दिवस, मानवाधिकार दिवस एवं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस आदि के आयोजन का प्रशिक्षण देना
3. सेवारत कार्यक्रम, क्षेत्रीय अंतःक्रिया एवं नवाचार, समन्वय प्रभाग(IFIC)-डाइट का वार्षिक पंचाग
तैयार करना। जिले के विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण की आवश्यकता की पहचान कर सेवारत शिक्षकों हेतु विषय आधारित एवं थीम आधारित प्रशिक्षणों का आयोजन करना। शिक्षकों के व्यावसायिक उन्नयन हेतु पत्र वाचन एवं निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन करना।क्षेत्रीय अंतःक्रिया क्रियात्मक अनुसंधान एवं सत्र-पर्यंत प्रकाशन के लिए नोडल ब्रांच के रूप में कार्य करना। जिला शिक्षा अनुसंधाता वाक्पीठ (डर्फ) की वार्षिक योजना का निर्माण एवं उसकी क्रियान्वित करना। जिले की शैक्षिक समस्याओं के समाधान एवं विभिन्न अभिकरणों में समन्वय हेतु समिति डी.सी.सी. की त्रैमासिक बैठकों का आयोजन करना।
4. पाठ्यक्रम, सामग्री विकास एवं मूल्यांकन प्रभाग(CMDE)-शिक्षाक्रम एवं नवीन पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा करना। स्थानीय परिवेशगत शिक्षण अधिगम सामग्री की पहचान एवं निर्माण करना। निदानात्मक परीक्षण एवं उपचारात्मक शिक्षण कार्ययोजना संबंधी प्रशिक्षण देना। दक्षता आधारित शिक्षण अधिगम एवं मूल्यांकन में गुणात्मक सुधार हेतु सहपाठी समूह एवं स्व-मूल्यांकन विधा संबंधी प्रशिक्षण देना। मूल्यांकन के विभिन्न उपकरण यथा - प्रश्न पत्र, प्रश्न बैंक आदि का निर्माण करना। पाठ्यक्रम का जिला स्तर पर परख परीक्षावार विभाजन करना। शिक्षकों का मानसिक योग्यता अभिवृद्धि हेतु प्रशिक्षण देना। विभिन्न स्तर की परीक्षाओं हेतु प्रश्न पत्रों का निर्माण करना एवं उनसे संबंधित विविध प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
5. शैक्षिक प्रौ़द्योगिकी (ED) - शिक्षण को प्रभावी बनाने हेतु अल्पव्ययी शिक्षण सहायक सामग्री तथा दृश्य - श्रव्य सामग्री का निर्माण एवं उपयोग संबंधी प्रशिक्षण देना।सम्प्रेषण को प्रभावी बनाने हेतु शैक्षिक प्रौद्योगिकी का शिक्षण में उपयोग संबंधी प्रशिक्षण देना।शैक्षिक प्रौद्योगिकी के नवीनतम उपकरणों यथा -कम्प्यूटर, टी.वी. एल.सी.डी. आदि के प्रति सजगता संबंधी प्रशिक्षण देना। दक्षता आधारित शैक्षिक सामग्री निर्माण, रेडियों पाठ आलेखन एवं अन्य प्रभागों के प्रशिक्षण को शैक्षिक प्रौद्योगिकी उपकरणों के माध्यम से संबलन प्रदान करना। विद्यालय प्रसारण कार्यक्रमों का प्रबोधन। एड्युसेट कार्यक्रम अंतर्गत वीडियों काॅन्फ्रेसिंग के विषय विशेषज्ञों से सीधा संवाद करवाना।
6. योजना एवं प्रबंध प्रभाग (P&M)-विभिन्न शैक्षिक समंक एकत्रित कर डाइट एवं जिला योजना मे ंसहयोग करना। विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण यथा- प्रधानाध्यापक, विद्यालय संकुल, विद्यालय योजना आदि का आयोजन करना। लेब एरिया का चयन कर शैक्षिक उन्नयन के प्रयास करना। कार्यक्रम सलाहकार समिति (पी.ए.सी.) की वर्ष में दो बार, पुस्तकालय सलाहकार समिति (एल.ए.सी.) का गठन, बैठकों का वर्ष में एक बार आयोजन करना। विद्यालय के स्वमूल्यांकन हेतु उपकरणों का निर्माण शाला मानचित्रण, सूक्ष्म नियोजन में शिक्षा अधिकारियों को तकनीकी सहयोग प्रदान करना। टीचर प्रोफाइल एवं अंतराल चक्र प्रपत्र संधारण करना। 8वीं बोर्ड पैटर्न परीक्षाओं का संचालन।
उपर्युक्त प्रत्येक प्रभाग के अन्तर्गत मुख्यतः निम्नलिखित कार्य सम्पादित किए जाते हैं:-
1. सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण
2. कार्यगोष्ठी/कार्यशाला
3. प्रसार
4. अनुसंधान
5. प्रकाशन
उक्त कार्यक्रमों के आयोजन के लिये प्रत्येक प्रभागवार वर्षपर्यन्त कार्य सम्पादन हेतु नियोजन निम्नानुसार किया जाता है।
1. पूर्व तैयारी-मॉडयूल निर्माण उसका क्षेत्र परीक्षण एवं आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करना प्री-टेस्ट का निर्माण करना, समन्वयन कार्य
2. समन्वयन एवं सूचना सम्प्रेषण-टीचर्स प्रोफाइल के आधार पर प्रशिक्षणार्थियों का चयन करना संबंधित अधिकारियों से शिक्षकों के डाइट में प्रशिक्षण हेतु आदेश जारी करवाना उनकी पालना करना वार्ताओं की विषयवस्तु को तैयार करना आदि।
3 . प्रशिक्षण आयोजन हेतु व्यवस्था-समुचित बैठक व्यवस्था सुनिश्चित करना, आधार पत्र तैयार करना,सन्दर्भ साहित्य, सहायक सामग्री आदि की व्यवस्था करना।
4. प्रशिक्षण/कार्यशाला आयोजन-कार्यक्रम के प्रभावी आयोजन हेतु फेसिलिटेटर व कोर्डिनेटर के
रूप में कार्य करना, प्रत्येक दिवस की गतिविधियों की समालोचना एवं आगामी दिवस की
रणनीति तैयार करना, दैनिक प्रतिवेदन तैयार करना, प्रशिक्षण समाप्ति दिवस पर समस्त
औपचारिकताओं की पूर्ति करवाना।
5. प्रशिक्षण पश्चात्-टीचर्स प्रोफाइल में प्रशिक्षण का अंकन, फीडबैक प्रपत्र का अध्ययन एवं
विश्लेषण, पोस्ट टेस्ट का मूल्यांकन एवं विश्लेषण, फीडबैक व पोस्ट टेस्ट के आधार पर
निष्कर्षों का निष्पादन और निष्कर्षों के आधार पर आगामी प्रशिक्षणों/कार्यगोष्ठियों में सुधार
हेतु व्यूह रचना तैयार करना।
6.शोध कार्य -प्रत्येक प्रभाग द्वारा प्रभाग के कार्या एवं शिक्षकों द्वारा प्राप्त फीडबैक और अनुभूत
समस्याओं के आधार पर क्रियात्मक अनुसंधान का कार्य किया जाता है। इसके लिये-(1.) समस्या का चयन करना आक (2.) आकल्प निर्माण (3.)उपकरण निर्माण (4.) दत्त संकलन (5.) संकलित दत्त का वर्गीकरण एवं विश्लेषण कर निष्कर्ष निकालना। शोध प्रतिवेदन एवं शोध सार तैयार करना व उसका प्रकाशन करना। सर्वशिक्षा एवं एसआईईआरटी द्वारा दिये गये शोध कार्य को सम्पादित करना।
7. प्रकाशन कार्य - विभिन्न प्रभागों में किये गये नवाचार एवं क्षे़त्र की आवश्यकता अनुसार आवश्यक सामग्री का प्रकाशन करना, संस्थान की त्रैमासिक,अर्द्धवार्षिक और वार्षिक पत्रिका हेतु सामग्री का संकलन करना एवं उसका प्रकाशन।
8. प्रसार कार्य-प्रत्येक प्रभाग द्वारा आयोजित प्रशिक्षण एवं कार्यशालाओं के प्रबोधन एवं अनुवर्तन के लिये तथा प्रभाग द्वारा किये गये प्रकाशनों को विद्यालयों तक पहॅुचाकर उनकी उपयोगिता सुनिश्चित करने के लिये प्रसार कार्य प्रस्तावित किया जाता हे जो प्रभागवार अलग-अलग होता है। लेब एरिया में स्थित विद्यालयों में शिक्षकों के सम्बलन करने हेतु माह में एक बार प्रत्येक व्याख्याता/व.व्याख्याता द्वारा विद्यालय अवलोकन एवं उनको सम्बलन प्रदान करना, प्रधानाध्यापक की वर्ष में पंचायत समिति स्तर पर वर्ष में होने वाली वाक्पीठ में शैक्षिक समस्याओं एवं सम्बलन कार्यक्रम का प्रबोधन करना।
9.विद्यालय अवलोकन कार्य -डाइट स्थापना के उद्देश्यों में बालकों को गुणवत्तापूणर््ा शिक्षा उपलब्ण्ध कराना है इसकी पूर्ति हेतु डाइट फैकल्टी, प्रभागाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य द्वारा प्रतिमाह दो विद्यालयों का अवलोकन एवं सम्बलन किया जाता है तथा रीडिंग कैम्पेन के तहत प्रति माह एक विद्यालय एवं शिक्षा संबलन के तहत वर्ष में चार विद्यालयों का अवलोकन किया जाता है। अवलोकन प्रतिवेदन का संधारण करना एवं अवलोकनों उपरांत दिये गये सुझावों की अनुपालना सुनिश्चित करवाना।
सर्वशिक्षा अभियान एवं विभाग के कार्यक्रमों के विषय विशेषज्ञों के रूप में सम्बलन प्रदान करना-सर्वशिक्षा अभियान के सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में दक्ष प्रशिक्षक के रूप में डाइट व्या. द्वारा कार्य करना, शिक्षक प्रशिक्षण शिविरों का अवलोकन कार्य करना एवं प्रबोधन करना। एस.एस.ए. द्वारा प्रतिवर्ष किया जाने वाला राष्टीय निष्पति परीक्षा मूल्यांकन कार्यक्रम को सम्पन्न करवाना।
1 अतिरिक्त कार्य - (1) कक्षा आठवीं बोर्ड परीक्षा आयोजन
2 प्रशिक्षण प्राप्ति कार्य -डाइट संकाय सदस्यों द्वारा वर्ष पर्यन्त एसआईईआरटी,आईएएसई एवं सीटीई, डाइट स्तर पर ट्रेनिंग लेना ।
3 मासिक बैठक- सीसीई की ब्लॉक स्तरीय मासिक बैठकों में भाग लेना एवं सीसीई विद्यालयों का संकाय सदस्यों द्वारा निरीक्षण एवं सम्बलन प्रदान करना ।
4 अन्य डाइट्स का शैक्षिक भ्रमण (चार दिवसीय)कर अर्न्तक्रिया द्वारा प्रशिक्षणों में सुधार करना।
5 संकाय सदस्यों की क्षमता अभिवर्धन कार्यक्रमों में भाग लेना।
सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण हेतु टीचर प्रोफाईल के आधार पर अध्यापकों का चयन, प्रशिक्षण में उपस्थित होने हेतु निर्देश, प्रशिक्षण के कार्ययोजना निर्माण, समय विभाग चक्र निर्माण, संकाय के संदर्भ व्यक्तियों का चयन एवं प्रशिक्षण का प्रभावी क्रियान्वयन, प्री-टेस्ट एवं पोस्ट टेस्ट का आयोजन, प्रशिक्षण/कार्ययोजना का प्रतिवेदन तैयार करना। प्रशिक्षण के पश्चात विद्यालयों में अध्यापकांें का फॉलोअप कार्यक्रम एवं फीड बैंक आदि कार्य सेवारत प्रशिक्षण/कार्यगोष्ठी के अंतर्गत किये जाते हैं। प्रत्येक प्रभाग, एसआईईआरटी द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रम तथा डाइट की पी.एस.सी. द्वारा अनुमोदित कार्यक्रमानुसार न्यूनतम 3 से 4 कार्यगोष्ठी/प्रशिक्षण प्रतिमाह आयोजित किए जाते हैं।
डाइट जिले की शीर्ष अकादमिक संस्था है जहाँ शैक्षिक कार्ययोजनाओं का नियोजन, क्रियावन्यन एवं सम्पादन किया जाता है जिसमें मुख्य रूप से सेवापूर्व शिक्षण प्रशिक्षण, अध्ययन-अध्यापन, क्षेत्रीय एवं प्रायोगिक कार्य, शिक्षक इंटर्नशिप कार्यक्रम तथा सेवारत कार्यक्रम अंतर्गत विभिन्न प्रभागों द्वारा विविध विषय आधारित प्रशिक्षण ;प्रतिमाहद्ध, शैक्षिक सामग्री निर्माण हेतु कार्यशालएं, कार्यगोष्ठी, सेमीनार, शोध एवं विद्यालय अवलोकन, संबलन एवं प्रकाशन आदि कार्य किया जाता है। इसके साथ ही एसआईईआटी, एसएसए, रमसा, एमएचआरडी, एनसीईआरटी, न्यूपा, आदि शैक्षिक संस्थाओं एवं अभिकरणों द्वारा भी जिलास्तर पर डाइट के माध्यम से ही शैक्षिक कार्य सम्पादित किये जाते है।