परिचय
प्रशासनिक क्षेत्र में हिन्दी प्रयोग को अनिवार्य करने की दृष्टि से प्रदेश में वर्ष 1956 में राजभाषा अधिनियम पारित किया गया तथा प्रदेश के राजकाज में हिन्दी को बढावा देने व प्रशासनिक कार्यों में पूर्ण हिन्दीकरण की नीति को प्रभावी करने के लिए, वर्ष 1965 में भाषा निदेशालय की स्थापना की गई।
राज्य सरकार द्वारा 31 जनवरी, 2001 को राज्यादेश जारी कर सार्वजनिक पुस्तकालयों के विकास को गति देने के उद्देश्य से भाषा विभाग को सार्वजनिक पुस्तकालयों से जोड़कर इस विभाग का नाम ‘भाषा एवं पुस्तकालय विभाग’ कर दिया गया। यह विभाग मुख्य रूप से राज्य में सार्वजनिक पुस्तकालयों के विकास, संचालन, प्रशासन तथा राजभाषा हिन्दी के विकास का कार्य कर रहा है। भाषा एवं पुस्तकालय विभाग द्वारा, पूर्व में संचालित 44 सार्वजनिक पुस्तकालयों से इनका गुणात्मक एवं संख्यात्मक विकास करते हुए निम्नानुसार सार्वजनिक पुस्तकालयों का संचालन किया जा रहा है
1. राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय- 01
2. मण्डल पुस्तकालय- 07
3. जिला पुस्तकालय- 33
4. तहसील पुस्तकालय- 06
5. पंचायत समिति पुस्तकालय- 276
(उच्च माध्यमिक विद्यालयों के परिसर में)
कुल योग 323
इस प्रकार अब पंचायत समिति स्तर तक सार्वजनिक पुस्तकालय संचालित हैं।