Pre-Service Education Branch (PSTE)
DEPARTMENT
DIPLOMA IN ELEMENTARY EDUCATION (B.S.T.C.) :
संविधान के प्रावधान तथा शिक्षा के मूल अधिकार अधिनियम के तहत समस्त 6 से 14 वर्ष के बालक-
बालिकाओं को निःशुल्क एवं अनिवार्यतः प्रारम्भिक शिक्षा की उपलब्धता सुनिष्चित करने हेतु राजस्थान
सरकार के शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार प्रथम स्तर के प्रशिक्षित एवं कुशल शिक्षकों की आवश्यकता केा
दृष्टिगत रखते हुए डी.एल.एड. (बी.एस.टी.सी.) प्रशिक्षण हेतु दो वर्षीय पाठ्यक्रम का जिला शिक्षा एवं
प्रशिक्षण संस्थान के माध्यम से संचालित होता हैं।
प्रवेश की प्रक्रियाः-
1. मान्यता प्राप्त बोर्ड से 12वीं कक्षा उत्तीर्ण छात्र/छात्रा राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट
विश्वविद्यालय/अभिकरण द्वारा आयोजित प्री-बीएसटीसी/डीएलएड परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात्
काउन्सलिंग के अनुसार आवंटित डाइट संस्थान में प्रवेश दिया जाता हैं।
2. वर्तमान में राज्य की समस्त डाइट्स में संचालित पाठ्यक्रम
पाठ्यक्रम (प्रथम वर्ष)
1. बचपन और बच्चे
2. शिक्षा के उद्देश्य,ज्ञान एवं पाठ्यचर्या
3. भारतीय समाज और शिक्षा
4. भाषा संज्ञान और समाज: पाठ्यक्रम के सन्दर्भो में
5. हिन्दी भाषा-शिक्षण और प्रवीणता
6. अंग्रेजी भाषा-शिक्षण और प्रवीणता
7. गणित शिक्षण और पर्यावरण अध्ययन
8. कला शिक्षण
9. सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीक
10. कार्यानुभव शिक्षा
11. आपदा प्रबन्धन
विद्यालय अनुभव कार्यक्रम (इन्टर्नशिप)
पाठ्यक्रम (द्वितीय वर्ष)
1. बच्चे और सीखना
2. विद्यालय संस्कृति प्रबंधन और शिक्षक
3. आधुनिक विश्व में विद्यालयी शिक्षा
4. हिन्दी भाषा शिक्षण और प्रवीणता
5. अंग्रेजी भाषा -शिक्षण और प्रवीणता
6. गणित शिक्षण
7. तृतीय भाषा शिक्षण (संस्कृत, उर्दू, सिंधी, पंजाबी, गुजराती)
8. स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा शिक्षण
9. समाजिक विज्ञान शिक्षण
10. विज्ञान शिक्षण
11. कार्यानुभव शिक्षा
12. आपदा प्रबंधन
2 स्थानीय डाइट की वर्तमान इन्टेक केपेसिटी 50 छात्रों की हैं तथा माननीय मुख्यमंत्री महोदया के
बजट घोषणा 2015-16 के अनुसार इन्टेक केपेसिटी 100 छात्रों की होने की संभावना हैं। एनसीटीई के
निर्देषानुसार इन्टेक केपेसिटी 50 से 100 करने हेतु निर्धारित समय पर ऑनलाइन आवेदन कर दिया
गया हैं।
3 पाठ्यक्रम निर्माण तथा संचालन तथा अन्य शिक्षण अधिगम प्रक्रियाओं का एवं गतिविधियों का
आयोजन संचालन राज्य की शीर्ष अकादमिक संस्था - राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण
संस्थान उदयपुर के मार्गदर्शन में समयबद्ध प्रभावी ढंग से किया जाता है।
4 प्रतिवर्ष उक्त द्विवर्षीय पाठ्यक्रम (प्रथम एवं द्वितीय वर्ष) की परीक्षाएँ राज्य स्तर पर निदेशालय
प्रारम्भिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर के पंजीयक शिक्षा विभागीय परीक्षाएँ राजस्थान बीकानेर द्वारा
आयोजित करवाई जाती हैं।
5 शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में प्रायोगिक परीक्षा के अन्तर्गत बाह्य परीक्षकों द्वारा परीक्षा ली जाती है।
6 पंजीयक शिक्षा विभागीय परीक्षाएँ राजस्थान बीकानेर द्वारा उत्तीर्ण छात्र/छात्राओं को अंकतालिका एवं
प्रमाण पत्र प्रदान किये जाते हैं।
7 छात्रवृत्तियाँ - राज्य सरकार के निर्देशानुसार बीएसटीसी/डीएलएड में उत्तर मेट्रिक छात्रवृत्तियाँ
(एसटी,एससी, ओबीसी, एसबीसी) तथा फीस पुनर्भरण भी पात्र छात्र/छात्राओं को प्रदान की जाती हैं
8 प्रायोगिक कार्य जो दो वर्षीय पाठ्क्रम के अन्तर्गत आयोजित होते है-
विद्यालय अनुभव कार्यक्रम- किसी भी व्यवसाय को प्रारंभ करने वाले प्रशिक्षु के लिये इन्टर्नशिप एक
महत्वपूर्ण कार्यकाल होता हैं । व्यवस्थित व व्यावहारिक इन्टर्नषिप की अवधि के बिना डॉक्टर,
इन्जीनियर इत्यादि अपने व्यवसाय में अपेक्षित स्तर की दक्षत प्राप्त नहीं कर सकते। शिक्षक-शिक्षा
कार्यक्रम में भी विद्यालय अनुभव कार्यक्रम (इन्टर्नशिप) की एक महत्वपूर्ण अवधि हैं। इसी अवधि में
विद्यार्थी-शिक्षक एक मननशील व परिपक्व पेशेवर के रूप में निखरतर हैं। अतः एक भावी शिक्षक को
तैयार करने में विद्यालय अनुभव कार्यक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका हैं।
1. उद्देश्य
2. करणीय कार्य
3. विद्यालय अनुभव कार्यक्रम - प्रथम चरण
विद्यालय अनुभव कार्यक्रम के चरण
मूल्यांकन प्रक्रिया
4. विद्यालय अनुभव कार्यक्रम - द्वितीय वर्ष
विद्यालय अनुभव कार्यक्रम के चरण
मूल्यांकन प्रक्रिया
5. सामान्य दिशा निर्देश
6. परिशिष्ट 1 व 2
7. अवलोकन प्रपत्र
8. प्रारूप 1 व 2
9. मूल्यांकन प्रपत्र
10. समय सारणी प्रथम व द्वितीय वर्ष
9 वर्तमान समय में राज्य सरकार के निर्देशानुसार प्रथम स्तर (कक्षा 1 से 5 के अध्यापन हेतु )शिक्षक
भर्ती के लिये बीएसटीसी/डीएलएड परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्र-छात्रा ही पात्र हैं। जिससे इस
पाठ्यक्रम के प्रति छात्र/छात्राओं का रूझान बढ़ने लगा हैं।
D.EL.ED.TRAINING ; At a Glance
क्र.स. |
बी.एस.टी.सी. प्रथम/द्वितीय वर्ष |
स्वीकृत छात्र/छात्रा संख्या |
पंजीकृत छात्र/छात्रा संख्या |
1 |
प्रथम वर्ष |
50 |
48 |
2 |
द्वितीय वर्ष |
50 |
49 |
द्वितीय वर्ष बी.एस.टी.सी. नामांकन 2015-16
क्र.स. |
सामान्य |
अनुसूचित जाति |
अनुसूचित जनजाति |
अन्य पिछड़ा वर्ग |
विशेष पिछड़ा वर्ग |
अल्पसंख्यक |
योग |
||||||||||||||
|
छात्र |
छात्रा |
योग |
छात्र |
छात्रा |
छात्र |
छात्रा |
योग |
छात्र |
छात्रा |
योग |
योग |
छात्र |
छात्रा |
योग |
छात्र |
छात्रा |
योग |
छात्र |
छात्रा |
योग |
1
|
5
|
1
|
6
|
11
|
3
|
14
|
2
|
3
|
5
|
6
|
3
|
9
|
14
|
1
|
15
|
0
|
0
|
0
|
38
|
11
|
49 |
प्रथम वर्ष बी.एस.टी.सी. नामांकन 2015-16
क्र.स. |
सामान्य |
अनुसूचित जाति |
अनुसूचित जनजाति |
अन्य पिछड़ा वर्ग |
विशेष पिछड़ा वर्ग |
अल्पसंख्यक |
योग |
||||||||||||||
|
छात्र |
छात्रा |
योग |
छात्र |
छात्रा |
छात्र |
छात्रा |
योग |
छात्र |
छात्रा |
योग |
योग |
छात्र |
छात्रा |
योग |
छात्र |
छात्रा |
योग |
छात्र |
छात्रा |
योग |
1 | 3 | 1 | 4 | 5 | 4 | 9 | 2 | 8 | 10 | 8 | 3 | 11 | 13 | 1 | 14 | 0 | 0 | 0 | 31 | 17 | 48 |
प्रथम |
प्रथम |
कार्यानुभव प्रभाग (W.E.)
पृष्ठभूमि-
वर्तमान वैश्वीकरण के युग में मानव अपने भीतर मौजूद कला, संस्कृति एवं जीवन के भावनात्मक पक्ष, मानवीय मूल्य के संवर्धन हेतु समय नहीं दे पा रहा है और उसका जीवन नीरस हो रहा है। इतने व्यस्त समय में जब भी उसका सामना उसके परिवेश में चलते लोक संगीत, लोक कला, लोक नाट्य से होता है, तो वह एकदम जीवंत हो उठता है और उसमें इन कलाओं को अपने जीवन में समाहित करने के विचार जागृत होते उन विचारों की पूर्ति कार्यानुभव प्रभाग के कार्यक्रम जैसे- प्रार्थना सभा, लोक-संगीत, उत्सव,पर्व, उपयोगी एवं कलात्मक सामग्री निर्माण और जीवन मूल्यों के सुदृढ़ीकरण के माध्यम से होेती है।
कहते भी हैं- ’’स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।’’ यह प्रभाग स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता- योग, व्यायाम, सूक्ष्म व्यायाम आदि के माध्यम से स्फूर्ति उत्पन्न करता है।
समाज में बढ़ती हुई जनसंख्याा को बेरोजगारी से उबारने के लिए कई दिशाएं जैसे-छापांकन कला,स्टेंसिल, केालाॅज, फल-सब्जी संरक्षण, घरेलू उपयोगी एवं कलात्मक सामग्री निर्माण, घरेलू उपकरणों का रख रखाव इत्यादि इस प्रभाग द्वारा दर्शायी जा रही है। इसके अतिरिक्त अल्पना, माण्डने, रंगोली, उत्सव, लोककलाओं, विभिन्न व्यंजनों के निर्माण से संस्कृति को जीवंत रखा जा सकता है।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 परिपे्रक्ष्य में वर्णित है कि सौंदर्यात्मक व कला के विभिन्न रूपों को समझना व उसका आनंद उठाना, मानव जीवन का अभिन्न अंग है। कला, साहित्य और ज्ञान के अन्य क्षेत्रों में सृजनात्मकता का एक दूसरे से घनिष्ठ संबंध है। बच्चे की रचनात्मक अभिव्यक्ति और सौंदर्यात्मक आस्वादन की क्षमता के विस्तार के लिए साधन और अवसर मुहैया कराना शिक्षा का अनिवार्य कत्र्तव्य है।
प्रभाग के कार्य
1. बालकों में जीवन-मूल्यों की शिक्षा हेतु लगाव पैदा करना।
2. बालक बालिकाओं को अपनी संस्कृति, नृत्य कला, नाट्यकला का ज्ञान देना।
3. बालकों में श्रम के प्रति निष्ठा, सम्मान एवं श्रम करने की आदतों का विकास करना।
4. बालकों को सृजनशील एवं स्वावलंबी बनाकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना।
5. सृजनात्मकता एवं मौलिकता को अभिव्यक्त करने का अवसर प्रदान करना।
6. अवकाश काल का सदुपयोग करना।
7. व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता, व्यायाम, योग, अंग संचालन आदि से संबंधित स्वास्थ्यप्रद आदतों का विकास करना।
8. शनिवारीय कार्यक्र्रमों में गतिविधि, दक्षता आधारित कार्यक्रम आयोजित करने के लिए बच्चों कोप्रेरित करना।
9. दैनिक जीवन में काम आने वाले घरेलू उपकरणों के रख रखाव की तकनीकी का ज्ञान कराना।
10. पौष्टिक आहार, फल, सब्जी संरक्षण की तकनीकी का ज्ञान देना।
11. ‘‘योग शिक्षा आधुनिक परिपे्रक्ष्य में अधिक महत्वपूर्ण है‘‘ इस तथ्य की जानकारी प्रदान करना।
12. सेवारत शिक्षकों के लिए वांछित सेवारत अभिनवन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना।
13. स्थानीय वातावरण में उपलब्ध सामग्री का सदुपयोग करते हुए कार्यानुभव के विभिन्न क्षेत्रों में प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को
प्रशिक्षित करना।
14. अनुपयोगी सामग्री से शिक्षण सहायक सामग्री तैयार करने हेतु प्रशिक्षणों का आयोजन करना।
15. संस्थान के अन्य सभी कार्यक्रमों में कार्यानुभव व कला शिक्षा विषय संबंधी योगदान करना।
16. उच्च प्राथमिक स्तर के शारीरिक शिक्षकों को प्रशिक्षित कर बालक बालिकाओं को स्वास्थ्य शिक्षा,योगासन,सफाई के बारे में जानकारी देना।
17. संस्थान परिसर का सौंदर्यीकरण, वाटिका निर्माण, वृक्षारोपण व उनका रख रखाव व विकास संबंधी क्रियाओं का आयोजन करना।
18. कार्यानुभव विषयक माॅड्यूल आधारित प्रशिक्षणों के माध्यम से प्रा. एवं उ.प्रा. स्तर के अध्यापकों को विषय से संबद्ध विभिन्न क्षेत्रों में दक्ष करना।
19. प्रभाग में आयोजित किए गए प्रशिक्षण एवं कार्यगोष्ठियों का प्रबोधन, अनुवर्तन एवं अवलोकन प्रभागाध्यक्ष एवं प्रभारी द्वारा किया जाकर प्रशिक्षणों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना ।
जिला संदर्भ इकाई प्रभाग(D.R.U.)
पृष्ठभूमि-
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत समस्त बालक बालिकाओं को उनकी आयुवर्ग के अनुसार शिक्षा ग्रहण करने की अनिवार्यता पर बल दिया गया है। उक्त अधिनियम की पालनार्थ जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों के जिला संदर्भ इकाई प्रभाग की जिला स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों के सफल नियोजन, आयोजन, समन्वयन एवं आवश्कतानुसार प्रबोधन की व्यवस्था करने में महत्वपूर्ण भूमिका है।
डी.आर.यू. प्रभाग के कार्यों में विविधता एवं व्यापकता है। यह प्रभाग विभिन्न कार्यक्रमेां के तहत बालक बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ने के लिए एवं अभिभावकों में जागृति, जनसंख्या शिक्षा एवं साक्षरता संबंधी नवीन संकल्पनाओं का प्रशिक्षण आयोजित करने के साथ ही महिला सशक्तीकरण,उपभोक्ता संरक्षण, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण संबंधी प्रशिक्षणों, प्रसार कार्यक्रमों एवं कार्यगोष्ठियों के प्रभावी एवं सफल आयोजन की महत्ती भूमिका का निर्वहन करता है।
प्रभाग के कार्य -
1. गुणवत्तापूर्ण, सकारात्मक सोच एवं स्वास्थ्य जागरूकता संबंधी प्रशिक्षण आयोजित करना।
2. विषयवस्तु को जनसंख्या शिक्षा से जोड़कर प्रशिक्षण आयोजित करना।
3. पर्यावरण संरक्षण एवं आपदा प्रबंधन संबंधी प्रशिक्षण आयोजित करना।
4. निःशक्त बालकों के संबलन हेतु प्रशिक्षण आयोजित करना।
5. महिलाओं में जागृति एवं संबलन प्रदान करने हेतु प्रशिक्षण आयोजित करना।
6. कन्या भ्रूण हत्या रोकथाम संबंधी कार्यगोष्ठी आयोजित करना।
7. डाइट के अन्य प्रभागों में समन्वयन एवं अपेक्षित सहयोग प्रदान करना।
8. विद्यालयों में विशिष्ट दिवसों पर अवलोकन मार्गदर्शन एवं सहभागिता प्रदान करना।
9. प्रभाग स्तरीय अनुसंधान संपादित करना।
10. अनुवर्तन एवं प्रबोधन कार्यक्रम आयोजित करना।
सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम, क्षेत्रीय अंतःक्रियाएँ एवं नवाचार समन्वय प्रभाग (I.F.I.C.)
पृष्ठभूमि-
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के अस्तित्व में आने के बाद यह प्रभाग संस्थान के प्रमुख स्तंभ के रूप में कार्य कर रहा है। आज के तकनीकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी के युग में ज्ञान का विस्फोट हो रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में समय समय पर होने वाले बदलाव तथा नवाचारों के चलते प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक कक्षाओं के पाठ्यक्रम को समृद्ध किया गया है। नवीन पाठ्यपुस्तकों में निहित नवीन पक्षों से शिक्षकों को अद्यतन कराने के उद्देश्य से शिक्षकों को समय समय पर प्रशिक्षण दिया जाना आवश्यक है। प्रशिक्षणों के माध्यम से अध्यापकों को बाल केंद्रित उपागम एवं गतिविधि आधारित शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया का ज्ञान कराना आवश्यक है। हिंदी, अंग्रेजी, तृतीय भाषा एवं सामाजिक विज्ञान विषयों से संबंधित प्रशिक्षणों के साथ साथ यह प्रभाग डर्फ एवं प्रभाग स्तरीय शोध कार्य एवं प्रकाशन कार्य भी संपादित कर रहा है। इन प्रशिक्षणों से शिक्षक सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन की अवधारणा को समझ सकेंगे एवं शिक्षण में प्रायोगिक एवं व्यावहारिक कार्यों को संपादित करने हेतु आवश्यक तैयारी एवं प्रभावी क्रियान्वयन कर सकेंगे।
प्रभाग के कार्य -
1. जिले में प्रा.शि. से जुड़े विभिन्न विभागों/कार्यालयों से समन्वय स्थापित करना।
2. जिले में उप्रावि स्तर के शिक्षकों हेतु तृतीय भाषा (संस्कृत/उर्दू) विषयों की नवीन पाठ्यपुस्तकों पर आधारित प्रशिक्षणों का आयोजन।
3. जिला शिक्षा अनुसंधाता वाक्पीठ (डर्फ) की नियमित बैठकें आयोजित करना एवं डर्फ से जुडे शोधार्थी सदस्यों को मार्गदर्शन प्रदान करना।
4. जिले में प्रावि /उप्रावि में कार्यरत शोध में रूचि रखने वाले शिक्षकों के लिए क्रियात्मक अनुसंधान प्रशिक्षण का आयोजन।
5. जिला स्तरीय शोध निर्देशानुसार संपन्न करना।
6. राज्य स्तरीय शोध हेतु जिले में सर्वे कार्य करवाने के लिए योजना तैयार करना एवं सर्वे कार्य एस.आई.ई.आर.टी उदयपुर के निर्देशानुसार करवाना।
7. अंतर्जिला शैक्षिक भ्रमण का कार्यक्रम आयोजन करना एवं अंतर्राज्यीय डाइट शैक्षिक भ्रमण का कार्यक्रम राज्य सरकार से स्वीकृति प्राप्त कर संपादित करना । इनका प्रतिवेदन एसआईईआरटी उदयपुर को पे्रषित करना।
8. डर्फ सलाहकार मंडल एवं कार्यकारिणी मंडल की सत्रांरंभ व सत्रांत बैठकों का आयोजन करना। जिले में प्रारंभिक शिक्षा से जुडे विभिन्न विभागों एवं प्रभागों में समन्वय हेतु जिला समन्वय समिति डीसीसी की बैठकों का आयोजन करना।
9. शिक्षकों में रचनात्मक एवं सृजनात्मक दक्षता के विकास के लिए जिला स्तरीय शिक्षक निबंध लेखन एवं पत्र वाचन प्रतियोगिताओं का आयोजन करना।
10. प्रकाशन एवं अनुसंधान के समस्त कार्यक्रमों का सभी प्रभागों में समन्वय स्थापित कर संपादित करना।
11. आई.एफ.आई.सी. प्रभाग को आवंटित प्रकाशन/अनुसंधान/क्षेत्रीय अंतःक्रिया हेतु राशि का उपयोग संस्थान के प्रकाशन/अनुसंधान/प्रसार कार्यक्रम में किया जाए।
12. संस्थान की वार्षिक कार्ययोजना निर्माण कार्यगोष्ठी का आयोजन कर सभी प्रभागों के समन्वय से डाइट पंचांग का निर्माण एवं प्रकाशन करवाना।
शिक्षाक्रम, अधिगम सामग्री विकास एवं मूल्यांकन प्रभाग (C.M.D.E.)
पृष्ठभूमि-
निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानानुसार 6 से 14 वर्ष के समस्त बालक-बालिकाओं को गुणवत्तायुक्त निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का दायित्व राज्य एवं केद्र सरकार का निर्धारित किया गया है। सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन आधारित नवीन अंाकलन व्यवस्था को लागू करने में सी.एम.डी.ई. प्रभाग की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। एनसीएफ-2005 के परिपे्रक्ष्य में शिक्षा के वांछित लक्ष्यों की प्राप्ति एवं शिक्षण को जन आंकाक्षाओं के अनुरूप उपलब्धि परक बनाने के लिए शिक्षाक्रम, सामग्री विकास एवं मूल्यांकन प्रभाग के माध्यम से विभिन्न प्रशिक्षण एवं कार्यगोष्ठियां आयोजित की जाती है। इनके माध्यम से पाठ्यक्रम की नवीन अवधारणाओं तथा सतत एवं व्यापक मूल्यांकन की आधुनिक विधाओं से अवगत कराने तथा शिक्षण विधाओं में नवाचार अपनाते हुए कक्षाकक्ष की समुचित स्थितियों को बाल केंद्रित व गतिविधि आधारित बनाने एवं आनंददायी स्वरूप प्रदान करने की अपेक्षा की गई है।
प्रभाग के कार्य -
1. प्राथमिक विद्यालयों में नवीन पाठ्यपुस्तकों कक्षा 1, 3, 5 के प्रभावी शिक्षण हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना।
2. शिक्षकों को सतत एवं व्यापक मूल्यांकन प्रक्रिया की जानकारी देने तथा उनके अभिलेख संधारित करने के लिए सतत एवं व्यापक मूल्यांकन हेतु प्रशिक्षण आयोजित करना।
3. एकल अध्यापक एवं दो अध्यापक वाले विद्यालयेां में शिक्षार्थियों की सतत एवं व्यापक शिक्षण अधिगम प्रक्रिया आधारित शिक्षण व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु बहुकक्षीय एवं बहुस्तरीय शिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना
4. मूल्यांकन प्रक्रिया एवं प्रश्नपत्र निर्माण की जानकारी देने हेतु प्रशिक्षण आयोजित करना।
5. टी.एल.एम. निर्माण करना, प्रभाग स्तरीय ब्रोशर लेखन एवं अनुसीमन करना तथा क्विज प्रतियोगिता के आयोजन हेतु प्रश्न निर्माण कार्यगोष्ठी आयोजित करना।
6. सीसीई विद्यालयों को संबलन प्रदान करने हेतु आॅन साईट सपोर्ट कार्यक्रम का संपादन करना।
7. जिले के प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों में सी.सी.ई. की प्रभावी समझ विकसित करने हेतु क्विज प्रतियोगिता के प्रश्न निर्माण करना एवं प्रतियोगिता आयोजित करना।
शैक्षिक प्रौद्योगिकी प्रभाग (E.T.)
पृष्ठभूमि-
वर्तमान युग सूचना प्रौद्योगिकी का युग है । चारों ओर नवीन तकनीकों, अनुसंधानों एवं आविष्कारों की धूम मची है। निश्चय ही शिक्षण अधिगम प्रक्रिया भी आधुनिकतम प्रक्रियाओं से अछूती नहीं रही है। शिक्षक भी शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए नवीन पाठ्यक्र्रम एवं शिक्षा्क्रम की अपेक्षाओं के अनुसार अपने कक्षा-कक्ष में नवीन शैक्षिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करे, यह समय की मांग है। इसी उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए शैक्षिक प्रौद्योगिकी प्रभाग के पंचांग में नवीन कार्यक्रमों का समावेश किया गया है।
शैक्षिक प्रौद्योगिकी के प्रशिक्षणों में शिक्षकों की शिक्षण में दक्षता अभिवर्धन हेतु विषय आधारित प्रशिक्षणों एवं नवीन शिक्षण तकनीकों के प्रशिक्षणों को पंचांग में सम्मिलित किया गया है। विभिन्न कार्यगोष्ठियों के माध्यम से शिक्षण सामग्री के निर्माण एवं उपयोग के साथ साथ विद्यालय प्रसारण जैसे राज्य स्तरीय महत्वपूर्ण कार्यक्रमों हेतु पाठ आलेखन के कार्य को प्रधानता दी गई है। साथ ही प्रसार कार्यक्रमों अनुसंधान एवं प्रकाशनों संबंधी विभिन्न कार्यों को भी इसमें स्थान दिया गया है।
प्रभाग के कार्य -
1. शैक्षिक प्रौद्योगिकी प्रभाग अजमेर द्वारा निर्मित ई लर्निंग सामग्री के उपयोग का प्रशिक्षण व वितरण करना।
2. कम्प्यूटर एवं मल्टी मीडिया प्रशिक्षण कार्यक्रम का उच्च प्राथमिक विद्यालयों का संस्था प्रधानों एवं अध्यापकों हेतु प्रशिक्षणों का आयोजन करना।
3. आधुनिक शिक्षण विधियों एवं तकनीकों द्वारा शिक्षकों में पर्यावरण एवं गणित शिक्षण को प्रभावी बनाने हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोेजन करना।
4. अध्यापकों को निर्देशन एवं परामर्श सेवा की जानकारी प्रदान कर विद्यार्थियों को लाभान्वित करने हेतु प्रशिक्षण प्रदान करना।
5. विज्ञान एवं गणित को व्यावहारिक जीवन से जोड़ने, अंधविश्वासों को दूर करने एवं शिक्षकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास हेतु प्रशिक्षणों का आयोजन करना।
6. शिक्षकों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा विकसित करने हेतु विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन कर शैक्षिक प्रौद्योगिकी का प्रचार प्रसार करना।
7. क्षेत्र मेें व्यापक शैक्षिक समस्याओं के समाधान हेतु अनुसंधान अध्ययन का आयोजन करना।
8. विभाग की गतिविधियों से शिक्षकों को पे्ररित करने तथा उन्हें सक्रिय बनाने की भावना से प्रभाग की उपलब्धियों को ब्रोशर के माध्यम से विद्यालयों तक पहुंचाना।
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान ,करौली जिला करौली
योजना एवं प्रबन्ध प्रभाग (P & M)
वार्षिक पंचांग सत्र 2015-16
पृष्ठभूमि -
संस्थान के समस्त प्रभागों में योजना एवं प्रबन्ध प्रभाग एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है । डाइट की सम्पूर्ण गतिविधियों का लेखा-जोखा इसी प्रभाग में रहता है । संस्थान के कार्यक्रमों की प्रगति की स्थिति एवं दिषा इसी प्रभाग से ज्ञात होती है। यह प्रभाग कार्यक्रम सलाहकार समिति एवं पुस्तकालय सलाहकार समिति की बैठक आयोजित करवाता है। कार्यक्रम सलाहकार समिति डाइट के वार्षिक पंचांग का अनुमोदन करती है। यह समिति संस्थान के समस्त प्रभागों के कार्यक्रमों की गुणवत्ता एवं प्रासंगिकता के अनुसार कार्यक्रम में सुधार ,उनकी संख्या बढ़ाने अथवा घटाने का अधिकार रखती है। जिले के समस्त षिक्षकों के टीचर प्रोफाइल का निर्माण एवं अद्यतन का कार्य इसी प्रभाग द्वारा किया जाता हैं। इस प्रभाग द्वारा संस्था प्रधानों के लिए प्रशिक्षण , वाक्पीठ में मार्गदर्षन , लेब एरिया में सम्पादित विविध प्रकार की गतिविधियों एवं योजनाओं के संचालन तथा विभिन्न शैक्षिक समंकों एवं सांख्यिकी सूचनाओं का संकलन कर प्रकाषन हेतु उपलब्ध करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका के दायित्व का निर्वहन किया जाता है।
उद्देष्य -
प्रारम्भिक शिक्षा के गुणात्मक उन्नयन हेतु जिले के संस्था प्रधानों एवं षिक्षकों की व्यावसायिक दक्षता में अभिवृद्धि करने , विभिन्न दक्षताओं व कौषलों के संवर्धन एवं शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिस्थापित विभिन्न प्रतिमानों, विभिन्न नवाचारों ,नवीन आयामों ,विद्यालयी प्रबंधन तथा प्रषासनिक पद्धतियों से उनको अवगत कराने के उद्देष्य से संस्थान के योजना एवं प्रबन्ध प्रभाग के माध्यम से सेवारत कार्मिकों के विभिन्न प्रशिक्षण, कार्यगोष्ठी एवं प्रसार कार्यक्रमों के सम्पादन हेतु वार्षिक पंचांग तैयार किया गया है। इसका मूल ध्येय यह है कि इन कार्यक्रमों के माध्यम सेे विद्यालय प्रबन्धन के क्षेत्र में कार्यरत परिवीक्षण अधिकारियों, ठत्ब्थ्ए प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों ,विद्यालय प्रबन्धन समिति और षिक्षक अभिभावक समिति के सदस्यों आदि कोे प्रशिक्षण ,कार्यगोष्ठी ,प्रसार कार्यक्रम, अनुसंधान एवं प्रकाषन आदि कार्यक्रमों से संबल प्रदान करना हैं। ताकि वे शिक्षा के नवीन आयामों ,नवाचारों में निहित दक्षताओं से विद्यालयों का प्रभावी एवं सफलतम प्रबन्धन करके ष्षैक्षिक गुणवत्ता के आयामों को विकसित कर प्रतिस्थापित कर सकें ।
योजना एवं प्रबन्धन प्रभाग ( P & M )के कार्य
वर्ष 2014-15 के वार्षिक पंचांग में निहित उद्देष्यों को प्राप्त करने के लिए पूर्ववर्ती वर्षों में निर्धारित व संचालित कार्यक्रमों के साथ-साथ प्रासंगिक आवष्यकताओं पर आधारित जिले के विभिन्न खण्डों एवं ैप्म्त्ज् उदयपुर से प्राप्त निर्देषों के आधार पर कुछ अद्यतन कार्यक्रम भी सम्मिलित किये गए हैं।
1. प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक प्रशिक्षण ,कार्यक्रम सलाहकार समिति कार्यगोष्ठी ,पुस्तकालय सलाहकार समिति कार्यगोष्ठी, टीचर प्रोफाइल निर्माण एवं अद्यतन करने की कार्यगोष्ठी एवं प्रसार कार्यक्रमों को पूर्व की भांति इस वर्ष भी प्रस्तावित किए गए हैं।
2. प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक एवं षिक्षकों की षिक्षक दैनन्दिनी का संधारण नियमित एवं पूर्ण रूप से करते रहे ,इसके संर्वधन एवं पोषण हेतु षिक्षक दैनन्दिनी प्रतियोगिता को प्रस्तावित किया गया है।
3. उच्च प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों की अपनी कई चुनौतियाॅ होती है। इस हेतु उचित मार्गदर्षन के लिए उच्च प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों के प्रशिक्षण को प्रस्तावित किया गया हैं।
4. सूचनाओं के व्यवस्थित सम्प्रेषण एवं उचित कार्यकुषल प्रबन्धन के लिए नोडल विद्यालय की विषिष्ट भूमिका होती है। इसके संस्था प्रधान को सम्बलन प्रदान करने हेतु नोडल विद्यालय के प्रधानाध्यापकों के प्रशिक्षण की आवष्यकता महसूस की गयी है।
5. विद्यालयों के सत्र भर शैक्षिक ,सहषैक्षिक एवं भौतिक क्षेत्रों में किये जाने वाले विभिन्न क्रिया कलापों हेतु एक सुनियोजित कार्ययोजना का होना अत्यन्त आवष्यक है । इसके लिए विद्यालय योजना निर्माण कार्यगोष्ठी प्रस्तावित की गयी है ।
6. शैक्षिक क्षेत्र में चिन्हित की गयी प्रांसगिक समस्याओं के उचित मार्गदर्षन हेतु प्रधानाध्यापक वाक्पीठ अध्यक्ष एवं सचिवों का प्रशिक्षण को प्रस्तावित किया गया है।
8. एस.एम.सी. गठन एवं कार्य प्रणाली संबंधी प्रशिक्षण आयोजित करना।